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सोच-समझ कर शेयर मार्केट में निवेश करें योगेश अवस्थी  देश की तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था के चलते भारतीय शेयर मार्केट ने हाल ही में दुनिया के शीर्ष शेयर बाजारों- अमेरिका , चीन , जापान के बाद अपना चौथा स्थान बना लिया है। पिछले कुछ सालों से घरेलू निवेशकों का रुझान भारतीय शेयर मार्केट की तरफ तेजी से बढ़ा है। कम समय में अधिक रिटर्न पाने की लालसा में सामान्य निवेशक फाइनेंस इन्फ्लुएंसर तथा एक्सपर्ट की सलाह पर किसी भी कंपनी में अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई को बिना जोखिम का आकलन किए लगा देते हैं , जो उनके लिए नुकसान का सौदा साबित हो रहा है। यद्यपि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (#सेबी) ने भी निवेशकों को फाइनेंस इन्फ्लुएंसर्स तथा अन्य स्रोतों से मिली सलाह मानने से पहले रिसर्च करने की हिदायत बार-बार दे रहा है , किंतु अधिकांश निवेशक समय एवं वित्तीय ज्ञान की कमी के कारण बिजनेस चैनल तथा सोशल मीडिया पर दी जा रही सलाह पर निवेश कर रहे हैं। पिछले कुछ सालों में देश में डीमैट अकाउंट , जो शेयर मार्केट में निवेश के लिए जरूरी अकाउंट है , की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है। प्रति माह लगभग 21 लाख नए डीम

गांधी, भारतीय रेल और स्वच्छता

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योगेश अवस्थी  #yogeshavasthi (यह लेख रेल मंत्रालय द्वारा प्रकाशित पत्रिका भारतीय रेल के अक्टूबर 2018 अंक में प्रकाशित किया गया है ।)  भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की कहानी भारतीय रेल के बिना अधूरी है। महात्मा गांधी से लेकर लगभग सभी जाने माने स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने के लिए भारतीय रेल का सहारा लिया। लेकिन आज हम बात करेंगे , 2 अक्टूबर , 1969 को पोरबंदर (गुजरात) में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी के भारतीय रेल के साथ रहे अटूट रिश्ते की। गांधीजी ने देश के लोगों की समस्याएँ समझने के लिए भारत भ्रमण करते समय तीसरे दर्जे में यात्रा करना पसंद किया। तीसरे दर्जे में यात्रियों की तकलीफें तथा यात्रियों की आदतों की वजह से हो रही गंदगी उनकी चिंता का मुख्य विषय रही। उन्होंने जहाँ रेल प्रबंधकों को यात्री सुविधाओं को सुधारने के लिए पत्र लिखे , वहीं उन्होंने यात्रियों को यात्र के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए , इसके बारे में लेख तथा विशेष पुस्तिका प्रकाशित कर , निःशुल्क वितरित की। गांधीजी ने अंत तक अपने भाषणों , पत्रों एवं लेखों आदि में रेलवे का उल्लेख किया